दृष्टियों में बिम्ब भर
दृष्टियों में बिम्ब भर
देश हो समृद्ध, सुन्दर
राह का रोड़ा न बन
देश हित कुछ भला कर
देश अपनी शान है
अपनों जैसी हो फिकर
प्यार गर जो मिट गया
देश जायेगा बिखर
समय "श्री" उपयुक्त है
कर्तव्य कर हो निड़र
श्रीप्रकाश शुक्ल
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