Wednesday 4 January 2017

वर्ष नया मंगलमय कहने 

वर्ष नया मंगलमय कहने आओ घर घर आज चलें  
जाकर ज्ञान सुपथ का दें जिससे सात्विक भाव पलें 

धन दौलत की लोलुपता, इतनीअधिक न बढ़ जाए 
दुर्भाव पूर्ण जीवन जी कर, खुद को ही हम स्वयँ छलें  

सोच समझ पग मग में रक्खें, भूल कहीं न हो जाए 
मंजिल तो मिलना दूर रहे अनुतापों में हाथ मलें 

प्रजातंत्र में नितांत संभव, इक विपन्न राजा बन जाए 
ऐसे में आप स्वयं सुधरें, न कि शासक को देख जलें 

शुभकामना उन्हें भी भेजी जिनकी बुद्धि हिरानी "श्री"  
उचित यही चुपचाप रहें,ना संसद छाती पर मूंग दलें 
 
श्रीप्रकाश शुक्ल 
 

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