अंधकार के क्षण जल जाते
भौतिकता के बढ़ते प्रभाव में
कोमल तत्व विलीन हो रहे ।
हम खुद ही अपनी राहों में
कंकड़ पत्थर के बीज बो रहे ॥
कोमल तत्व विलीन हो रहे ।
हम खुद ही अपनी राहों में
कंकड़ पत्थर के बीज बो रहे ॥
दुःख अप्रियता और विरोध के
लगा रहे हम बृक्ष कटीले ।
गहरी खायी खोद रखी है
उगा रखे तंगदस्ती टीले ॥
लगा रहे हम बृक्ष कटीले ।
गहरी खायी खोद रखी है
उगा रखे तंगदस्ती टीले ॥
मानवता को भूल आज
दे रहे साथ जो अनाचार का ।
बुद्धिहीन असहाय सरल हैं
बोझा लादे कुत्सित विचार का ॥
दे रहे साथ जो अनाचार का ।
बुद्धिहीन असहाय सरल हैं
बोझा लादे कुत्सित विचार का ॥
मानवता से विरत व्यक्ति
कल्याण मार्ग क्या चल पाएगा ।
क्षमा,सत्यता ,धीरज तजकर
पशु समान ही रह जाएगा ॥
कल्याण मार्ग क्या चल पाएगा ।
क्षमा,सत्यता ,धीरज तजकर
पशु समान ही रह जाएगा ॥
जो हम तिमिराच्छादित अंतस में
स्नेह शांति के दीप जलाते ।
जीवन आँगन प्रकाशमय होता,
अंधकार के क्षण जल जाते ॥
स्नेह शांति के दीप जलाते ।
जीवन आँगन प्रकाशमय होता,
अंधकार के क्षण जल जाते ॥
श्रीप्रकाश शुक्ल
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