ढूंढती मुस्कान मेरी
प्रातः से संध्या समय तक भार ओढ़े व्यस्तता का
बीतता जाता समय नित भाव भरता विफलता का
बीतता जाता समय नित भाव भरता विफलता का
सब कार्य तो चल ही रहे हैं पर न दिखता चाहिए जो
अनुभूति सच्ची निगल जाता बोध इक परपंचता का
अनुभूति सच्ची निगल जाता बोध इक परपंचता का
ढूंढती मुस्कान मेरी घर की हर दीवार कोना और वीथी
पर मैं उसको कैसे ओढूँ, जब भाव उर में सहृदयता का
पर मैं उसको कैसे ओढूँ, जब भाव उर में सहृदयता का
मैं जानती अच्छी तरह नैराश्य के ये भाव चिंता जनक हैं
और बोध है कि भूल है फल भोगना भवितव्यतता का
और बोध है कि भूल है फल भोगना भवितव्यतता का
संकल्प ले निज लक्ष्य का और कर्तव्य पथ पर अडिग रहना
अनुभूति सुख की संजो रखना, सद्मार्ग है "श्री" सफलता का
अनुभूति सुख की संजो रखना, सद्मार्ग है "श्री" सफलता का
श्रीप्रकाश शुक्ल
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