Wednesday 21 January 2015

केसर घोल रहा है सूरज, अभिनन्दन

शासन की अनृत नीतियों 
से  होता रहा त्रसित जन गन 
ऊँच नीच का भेद न छूटा  असहायों  का  हुआ   दमन  
गणतंत्र  नींद से जागा अब,  सुनकर कारुण्य भरा क्रंदन 
अच्छे दिन लाने की खातिर, होने लगा सार्थक चिंतन 
द्वार प्यार के खोल रहा है,  हर्षित मन 
   
केसर घोल रहा है सूरज, अभिनन्दन

दुविधा के दिन मिटे, हो रहे जन हित निर्णय आनन-फानन  
ऊर्जा उछाल ले बह निकलेगी, होगा ज्योतित सम्पूर्ण चमन 
जगती पर फैलेगी हरीतिमा, मुरझा न सकेगा कोई भी तृण 
स्वच्छ धरा पर फिर डोलेगी ,सुरभित शीतल मलय पवन 
भाषा विपन्न की बोल रहा है,एक अकिंचन 
केसर घोल रहा है सूरज, अभिनन्दन

नदियों के निर्मल जल में प्रतिबिंबित हो जब चन्द्र किरण 
आलोक अमित फैलाएगी , हर गाँव शहर  होगा वृन्दावन 
नाचेंगे कृष्ण गोपियाँ मिल ,श्रद्धा  विश्वास भरा हर मन 
इस प्रयास में अर्पित हैं जो , आओ उनको हम करें नमन 
मिलकर ही  तोड़े जाते हैं, सदियीं के बंधन 
केसर घोल रहा है सूरज, अभिनन्दन

श्रीप्रकाश शुक्ल 

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