पूज्य भाईजी की मधुर स्मृति में श्रद्धा सुमन
परिवार जनों के सुदृढ़ संबल
मित्र जनों के परम मित्र |
करुणा की साक्षात मूर्ति
सौहाद्र पूर्ण जीवन पवित्र |
कर्तव्य पथ पर अडिग निरंतर
सदा सत्य के अनुयायी |
दुखियों की जीवन गाथा सुन
जिनकी आँख सदा भर आयी |
सदा खोजते रहे स्वयं को
कर्म ज्ञान से पूर्ण व्यवस्थित |
कभी न विचलित अपने पथ से
चाहे जैसी बनी परिस्थिति |
जीवन के सार्थक मूल्यों को
आत्मसात कर खूब निभाया |
स्वयं प्रमाणित आवग्रत हो
छोड़ी सब पर अमिट छाया |
नहीं शब्द जो प्रकट कर सकूं
जो कुछ मैंने उनसे पाया |
कैसे भूलूँ उस दिव्य अंश को
जिसने सदा प्रेम बरसाया |
हमें गर्व भाई जी तुम पर
फिर भी मेरा मन अशान्त |
अंतिम प्रणाम स्वीकृत हो मेरा
पाओ अव्यय परम शांति |
गीता-श्रीप्रकाश
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