Monday 16 December 2013

मेरा तो स्पर्श मात्र है

मेरा तो स्पर्श मात्र है, जो करता प्रभु ही करता 
सारे जग का मालिक वो है, वही है करता धरता   

जिसकी भृकुटि विलास सृष्टि का लय कर देती 
सुन भक्तों की टेर दौड़ कर आता, दुःख हरता  

 तू  माने या ना माने, उसको तो सब ही प्रिय हैं 
सबका खैर ख्वाह मौला वो,अल्ला,यीशु, भरता  

नहीं किसी के पाप पुण्य से उसको लेना देना 
डूबा रहे ज्ञान जब तम में मति भ्रम से मन मरता   

जो अपने कर्मों की "श्री" पतवार संभाले रहता खुद  
जीवन नौका खे कर अपनी हंस हंस पार उतरता 

श्रीप्रकाश शुक्ल 

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