पूज्य भाई जी के चौथे निर्वाण दिवस पर श्रद्धा सुमन
हर सितम्बर
माह
में
आवाज़
इक आ गूंजती,
आ गूंजती
बन्धुओ मिलकर
रहो,
मिलकर
रहो,
मिलकर
रहो
भौतिक सुखों
की चाह का अंत
कोई
भी नहीं,
पाओगे जितना
ही, उतना लोभ
बढ़ता
जाएगा,
संभव नहीं
तुम
कर सकोगे, लालसा
मन की सफल
शांति मन
की दूर होगी,
हाथ
कुछ
न आयेगा
हर सितम्बर
माह
में
आवाज़
इक आ गूंजती,आ गूंजती,
पंथ सेवा
का गहो, परमार्थ
का ही पथ
गहो
जीवन डगर
है बहुत मुश्किल,
अडचनें
पग पग खड़ी
पार कर
लोगे
अकेले,
ये तुम्हारी भूल
है
साथ ले
सब को चलोगे,
रास्ता
कट जाएगा
सोच आधारित
अहम्
पर, सर्वथा निर्मूल
है
हर सितम्बर
माह
में
आवाज़
इक आ गूंजती,आ गूंजती,
साथियो मिलकर
चलो,
मिलकर
चलो
मिलकर
चलो
आवाज़ ये उसकी नरों
में,
जो रहा उत्तम
सदा,
काम औरों
का रहा, अपने
से बढ़कर सर्वदा
भाव सेवा
का समेटे, जो
सिमट
कर खुद रहा
आज उसको
ह्रदय
मेरा,
नमन
शत शत कर
रहा
हर सितम्बर
माह
में
आवाज़
इक आ गूंजती,
आ गूंजती
बन्धुओ मिलकर
रहो,
मिलकर
रहो,
मिलकर
रहो
समस्त परिवार
२१ सितम्बर
२०१३
No comments:
Post a Comment