Saturday 28 April 2012

अपनी अपनी सीमाएं हैं

ज्ञान, कल्पना और प्रेम के ,भंडार अपरिमित संभव हैं,
    पर उनके प्रेषण, अधिग्रह की अपनी अपनी सीमायें हैं
        कारुण्य, धैर्य , संवेदन की अनुभूति असीमित संभव है,
           पर इनके प्रतिगमन क्रिया की प्रतिबंधित क्षमताएं हैं

सामाजिक जीवन में मानव का हर एक कदम आँका जाता
  अग्रिम पद की दशा, दिशा क्या, प्रतिफल पर निर्भर हो पाता
      मानव प्रमाद के वसीभूत, जब भी निर्धारित परिधि तोड़ता
         सहज प्रवाहित जीवन नौका, अवरोधों के मध्य छोड़ता

मानव क्या पशु पक्षी भी सामंजस्य खोजते संवंधों में
     सीमाबद्ध आचरण कर, भरते मिठास अनुबंधों में
         सुमति सोच, सार्थक विवेक, जीवन में खुशियाँ भरता
            असफलता रहती ठगी ठगी, जीवन यापन सुचारू चलता





श्रीप्रकाश शुक्ल

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