Saturday 5 November 2011


मृत्यु, तेरे आलिंगन के आकर्षण में
 
जीवन का कटु सत्य, शाश्वत सत्य, मृत्यु का आलिंगन,
  फिर होना  अशांत, आतंकित , मात्र  मनस्थिति  का  धुँधलापन     
    जो आया,  निश्चित जाएगा, अमरत्व  कभी संभाव्य नहीं
       जो जीते ही, निशदिन मरते,  इस से बढ़कर दुर्भाग्य नहीं 
 
 मृत्यु, तेरे आलिंगन  में,  देखा  जीवन तत्त्व समाहित,
  जो प्रबुद्ध थे समझ सके, अपवर्जन रख सके प्रवाहित 
    बैसे तो सारा जीवन ही, कट जाता है, धुनते बुनते, 
       सुख संचय, समृद्धि हेतु रतअनुचित उचित दिशा चुनते
 
  मृत्युतेरे  आकर्षण में, उन्मत्त नशा दीवानों का, ,   
  जो जनहित के पुण्य  यज्ञ में, हवन  करें  अरमानों  का 
    मृत्यु, संगिनी जीवन  की, आलिंगन कर, गल बाहें भरते
       असमय टूट बिखर जाते, उत्पीड़क सत्ता से लड़ते 
 
 ऐसे अनेक मानव महान, भारत भू पर आये, ले प्रण 
  जिनके अपूर्व आदर्श आज,सम्पूर्ण विश्व कर रहा अनुकरण
    ऐसे  कर्मठ बीरों की, गाथाएं रहतीं अजर अमर
       नयी  पीड़ियों के तरुणों में, भरतीं उर्जा, उल्लास प्रखर 
 
अपवर्जन:  सर्वस्व त्याग  की भावना

श्रीप्रकाश शुक्ल 

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