चिरस्मरणीय मेरी माँ
गंगाजल सा पावन मन था
हिमगिरि सा व्यक्तित्व महान
शब्द नहीं जो कर पायें हम
अम्मा तेरा गौरव गान
तीर्थराज सा गरिमामय,
माँ था सानिध्य तुम्हारा
देव तुल्य वह "पूर्ण" रूप है
अब आराध्य हमारा
ओजभरी वाणी थी तेरी,
तेजमयी तन्वंगी काया
तेरी प्रतिभा और ज्ञान को
किस किसने न सराहा
अगर किसी ने कठिनाई में
द्वार तेरा खटकाया
खुली बांह से निर्मल मन से
उसे तुरत अपनाया
सोचा न कभी, है निजी कौन,
और है, कौन पराया
दुर्बल कन्धों पर भी तुमने
कितना बोझ उठाया
तेरे संरक्षण में पनपे
हम कितने बडभागी
पद चिन्हों पर चला करेंगे
हम तेरे अनुरागी
तेरी पावन स्मृति से होंगे
पंथ प्रशस्त हमारे
प्रेरक स्रोत हमारे होंगे
जीवन मूल्य तुम्हारे
श्रीप्रकाश शुक्ल
गंगाजल सा पावन मन था
हिमगिरि सा व्यक्तित्व महान
शब्द नहीं जो कर पायें हम
अम्मा तेरा गौरव गान
तीर्थराज सा गरिमामय,
माँ था सानिध्य तुम्हारा
देव तुल्य वह "पूर्ण" रूप है
अब आराध्य हमारा
ओजभरी वाणी थी तेरी,
तेजमयी तन्वंगी काया
तेरी प्रतिभा और ज्ञान को
किस किसने न सराहा
अगर किसी ने कठिनाई में
द्वार तेरा खटकाया
खुली बांह से निर्मल मन से
उसे तुरत अपनाया
सोचा न कभी, है निजी कौन,
और है, कौन पराया
दुर्बल कन्धों पर भी तुमने
कितना बोझ उठाया
तेरे संरक्षण में पनपे
हम कितने बडभागी
पद चिन्हों पर चला करेंगे
हम तेरे अनुरागी
तेरी पावन स्मृति से होंगे
पंथ प्रशस्त हमारे
प्रेरक स्रोत हमारे होंगे
जीवन मूल्य तुम्हारे
श्रीप्रकाश शुक्ल
No comments:
Post a Comment