Friday 29 October 2010

दीपावली


दीपावलि की धवल पंक्तियाँ, देती आयीं सदा संदेशा
     छाया मिटे क्लेश कुंठा की, जीवन सुखमय रहे हमेशा
          छोटा बड़ा नहीं कोई भी, बीज साम्य के दीपक बोते
               इसी लिए हर घर के दीपक, केवल मिटटी के ही होते


चाह यही यह दिव्य रश्मियाँ, हर मन को आलोड़ित करदें
     ये प्रकाश की मनहर किरणें, जीवन अंगना आलोकित कर दें
          रहे कामना यही ह्रदय में, मंगलमय हो हर जीवन
              प्रेम और सद्भाव बढायें, मिलकर सभी धनिक निर्धन

देश प्रेम की प्रवल भावना, भरी रहे सबके मन में
     उर्जा और शक्ति विकसित हो, हर तरुणाई के तन में
         पुण्य पर्व की ज्योति शिखाएं, अशुभ सोच संशोधित कर दें
             ये प्रकाश की मनहर किरणें, जीवन अंगना आलोकित कर दें



श्रीप्रकाश शुक्ल

1 comment:

  1. छोटा बड़ा नहीं कोई भी, बीज साम्य के दीपक बोते
    इसी लिए हर घर के दीपक, केवल मिटटी के ही होते
    यादगार पंक्तियां, सदैव याद रहेंगी।
    दीपावली की शुभकामनाएं।
    नमन।

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