Tuesday 14 September 2010

झुककर ही हम आगे बढ़ते


कंटकाकीर्ण, जीवन का पथ
उत्तरदायित्वों से लथपथ
आगे बढ़ने की सतत होड़
अवरोधन अगणित अतोड़
थक जाते जलन, द्रोह लड़ते
झुककर ही हमआगे बढ़ते


टकराना कोई निदान नहीं
मंत्रणा व्यर्थ, जब ज्ञान नहीं
झूटी स्तुति सम्मान नहीं
अहम् ओढ़ना, शान नहीं
मृदुभाषी सब का मन हरते
झुक कर ही हम आगे बढ़ते

झुक कर धन्वा, लक्ष्य साधता
झुक मृग शावक, नदी लांघता
झुक कर खनिक, ढूंढता मोती
विजय प्रेम की बल पर होती
झुक झुक कर ही चोटी चढ़ते
झुक कर ही हम आगे बढ़ते


जग का मालिक, महा सबल
संचालित जिस से हर पल
कृपा प्रभु की जो जो पाता
धैर्य नम्रता से सज जाता
झुककर विनय प्रभू की करते
झुककर ही हम आगे बढ़ते


श्रीप्रकाश शुक्ल
फार्मिंगटन हिल्स (यू एस ए )
१२ सितम्बर २०१०









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